कविता। ग़ज़ल। अपनी बात।

मंगलवार, 29 जून 2010

मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

बंधुओं !
आप अगर हिन्दी साहित्य और उसकी विधाओं से प्रेम करते हैं तो आपका 'मेरी दुनिया' में स्वागत है। यह ब्लॉग यूँ तो व्यक्तिगत रूचि के कारण बनाया गया है लेकिन समाज में रहने वाला प्राणी सामाजिक कहलाता है और प्राणी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अपनी रूचि-अरुचियों के साथ समाज से जुड़ा रहता है इसलिए किसी के लिए स्वयं उसका कुछ भी व्यक्तिगत नहीं रह जाता। ब्लॉग पर आने का मतलब ही है की आप अपनी भावनाओं, रुचियों के साथ उस संमाज से जुड़ना चाहते हैं जिसकी रुचियाँ और भावनाए आप से मिलती-जुलती हैं।
मित्रों! एक निवेदन कि आप में से जो भी बन्धु समर्थक अथवा मित्र के रूप में 'मेरी दुनिया' से जुड़ रहे हैं वे कृपा करके अपने बारे में एक संक्षिप्त जानकारी मुझे मेरे ई -मेल पर अवश्य भेजें। आपको संभव है थोड़ी असुविधा जरूर होगी लेकिन नए मित्रों के बारे में जानने और उनसे वैचारिक सन्दर्भों,संपर्कों को बनाने में मुझे काफी सहूलियत होगी।

रविवार, 27 जून 2010

मेरी दुनिया -4

हूक सी दिल में उठाते क्यूँ हो।
दर्द-ऐ-दिल मेरा बढ़ाते क्यूँ हो॥

जिसकी कोई वज़ह कभी हो ही नहीं सकती है।
ऐसी उम्मीद भला मुझमें जागते क्यूँ हो॥

रहनुमा बन के जो सिर्फ गुनाह करते हैं।
उनकी खातिर हमें शूली पर चढ़ाते क्यूँ हो॥

हम तो इन्सान हैं इंसानियत के कायल हैं।
मज़हबी आग में हमको जलाते क्यूँ हो॥

जिन्हें दो जून की रोटी नहीं नसीब होती।
छीनकर मरने का हक़ उनको सताते क्यूँ हो॥

शुक्रवार, 25 जून 2010

मेरी दुनिया -3

मेरे नाम उसने है ख़त लिखा,मैं लिखूं क्या उसको जवाब में।

वो दीवाना मेरा है हो गया, न सोचा था जिसको ख़्वाब में॥

मासूम चहरे की असलियत, मैं देख कर घबरा गई।

देखा करीब से जब उसे, काँटे थे कितने गुल़ाब में॥

कहता वो खुद को पाक है,नापाक जिसके ख्याल हैं।

होता है जब भी वो रू-ब-रू,मिलता हमें है नक़ाब में॥

इक हसीं पल की याद में,जाने कितने ग़म मैं भुला चुकी।

जिन्हें ग़म ने अपना बना लिया,गए डूब सारे शराब में॥

गुरुवार, 24 जून 2010

मेरी दुनिया में-1

कभी फुर्सत मिले तो आना मेरी दुनिया में।
मेरी खातिर भी मुस्कुराना मेरी दुनिया में॥
तुम्हें हम याद कभी भूल कर नहीं आए।
फिर भी चर्चा है मगर तेरा मेरी दुनिया में॥
मेरी यादों में एक लम्हा अब भी ऐसा है।
गैरमुमकिन है भुला पाना मेरी दुनिया में॥
वो बीते लम्हे हमें अब भी याद आते हैं।
है सितारों का टिमटिमाना मेरी दुनिया में॥
बीते सावन में घटा झूम के जो आई थी ।
अब के सावन में है बरसाना मेरी दुनिया में॥
सवाल उठता है रह-रह वजूद पर मेरे।
जवाब अब भी पुराना है मेरी दुनिया में॥

मेरी दुनिया में-2

मेरे हाथों में गर हुनर होता।
मेरी चाहतों का शहर होता॥

होता अगर जो खुदा कहीं।
तो दुआओं का भी असर होता॥

कोई ग़म करीब यूँ आ गया।
मैं देखती हूँ जिधर, होता॥

अभी दूर है मंज़िल मगर।
हसीं साथ हो तो सफ़र होता॥