कविता। ग़ज़ल। अपनी बात।

मंगलवार, 29 जून 2010

मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

बंधुओं !
आप अगर हिन्दी साहित्य और उसकी विधाओं से प्रेम करते हैं तो आपका 'मेरी दुनिया' में स्वागत है। यह ब्लॉग यूँ तो व्यक्तिगत रूचि के कारण बनाया गया है लेकिन समाज में रहने वाला प्राणी सामाजिक कहलाता है और प्राणी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अपनी रूचि-अरुचियों के साथ समाज से जुड़ा रहता है इसलिए किसी के लिए स्वयं उसका कुछ भी व्यक्तिगत नहीं रह जाता। ब्लॉग पर आने का मतलब ही है की आप अपनी भावनाओं, रुचियों के साथ उस संमाज से जुड़ना चाहते हैं जिसकी रुचियाँ और भावनाए आप से मिलती-जुलती हैं।
मित्रों! एक निवेदन कि आप में से जो भी बन्धु समर्थक अथवा मित्र के रूप में 'मेरी दुनिया' से जुड़ रहे हैं वे कृपा करके अपने बारे में एक संक्षिप्त जानकारी मुझे मेरे ई -मेल पर अवश्य भेजें। आपको संभव है थोड़ी असुविधा जरूर होगी लेकिन नए मित्रों के बारे में जानने और उनसे वैचारिक सन्दर्भों,संपर्कों को बनाने में मुझे काफी सहूलियत होगी।

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