मेरे नाम उसने है ख़त लिखा,मैं लिखूं क्या उसको जवाब में।
वो दीवाना मेरा है हो गया, न सोचा था जिसको ख़्वाब में॥
मासूम चहरे की असलियत, मैं देख कर घबरा गई।
देखा करीब से जब उसे, काँटे थे कितने गुल़ाब में॥
कहता वो खुद को पाक है,नापाक जिसके ख्याल हैं।
होता है जब भी वो रू-ब-रू,मिलता हमें है नक़ाब में॥
इक हसीं पल की याद में,जाने कितने ग़म मैं भुला चुकी।
जिन्हें ग़म ने अपना बना लिया,गए डूब सारे शराब में॥
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